महात्मा गांधी और उसके बाद किसी बड़े नेता ने अंग्रेज़ी की खुलेआम खिलाफत की तो वे थे डॉक्टर लोहिया। अब तो जो अपने को उनका उत्तराधिकारी या चेला मानते हैं वे भी यह बात नहीं करते। गाँधी के चेलों (नकली, मठी इत्यादि कोई भी) का भी वही हाल है। हमारे बुद्धिजीवियों की तो बात ही छोड़िये। उनके बुद्धिजीवी होने की पहचान तो इस भाषा से भी जुड़ी है। हिंदी वालों का तो बुरा हाल है ही। भाजपा की रक बड़ी कमजोरी यह भी है कि उसमें अंग्रेज़ीदां नही के बराबर है। बेचारे ले दे कर जेटली थे वे सिधार गए।
अंग्रेज़ी सिर्फ भाषा नही है। दिमाग और विचारों को बनाने का एक बड़ा माध्यम भी है। यह मान लेना गलत होगा भाषा सिर्फ सम्प्रेषण का एक माध्यम भर है और value neutral होती है। नही। भाषा loaded होती है। उसका अपना स्वभाव, उसकी जीवन दृष्टि होती है जो निहित होती है। इसके अपने शब्दों के खास मायने होते है जो दूसरी भाषा में कभी कभी नही होते। हमारी भाषाओं में जो धर्म शब्द है उसका एक अर्थ religion हो सकता है। और भी कई सुंदर अर्थ हैं धर्म के। अंग्रेज़ी में वे अर्थ हैं ही नही। इस प्रकार के और भी उदाहरण हैं। freedom और स्वतंत्रता मैम भेद है।
हमारी बोली भाषाओं में सब कुछ होता है। अंग्रेज़ी में किया जाता है। हमारे यहां बिता हुआ भी कल है और आने वाला भी कल है। हम समय को अलग ढंग से देखते हैं। जल्दी में मोटे मोटे कुछ उदाहरण दे रहा हूँ। हमारा पूरा का पूरा समृद्ध परम्परिक लोक ज्ञान हमारी बोली भाषाओं के मुहावरों और कहावतों और लोके कथाओं में भरा पड़ा है। जीवन दृष्टि से लेकर मौसम, कृषि, स्वास्थ्य, भोजन, आचार व्यवहार की तमाम बातें।
पर हमारा आधुनिक भारत, 'लिबरल' और 'सेक्युलर' भारत इस सब से वंचित है और उसे पता भी नही है की उसकी दुनिया छोटी हो गई है। उसका शब्द कोष छोटा हो गया है इस अंग्रेज़ी के चक्कर में। उसके मां बाप, भले ही वे गंवई हो, उनकी शब्दो और मुहावरों और कहावतों की दुनिया इनसे बड़ी थी। हाँ अहंकार इनमे ज़्यादा है। अंग्रेज़ी की देन। अंग्रेज़ी की वजह से कई पत्रकारों की प्रतिष्ठा है। कई बुद्धिजीवी उसकी वजह से हैं।
हमने इस भाषा के चक्कर में सोचना छोड़ दिया है। हमारे नेताओं को इसकी फिक्र क्या समझ ही नहीं है। जो अंग्रेजीपरस्त है कांग्रेस और लेफ्ट दलों में कई मिल जाएंगे वे तो इसी की खाते हैं, वे क्यों सोचने लगे पर जो दूसरी तरह के देसी भाषा वाले हैं वे भी नहीं सोच रहे।
अंग्रेज़ी इस देश का नासूर है। मौलिक चिंतन इसे हटाये बिना सम्भव नही। विदेश से आई सोच और विचार और उससे हमारा दिमाग संचालित होते रहेगा जब तक अंग्रेज़ी की चलती रहेगी।
पवन कुमार गुप्त
दिसंबर 22, 2019
pawansidh.blogspot.in
अंग्रेज़ी सिर्फ भाषा नही है। दिमाग और विचारों को बनाने का एक बड़ा माध्यम भी है। यह मान लेना गलत होगा भाषा सिर्फ सम्प्रेषण का एक माध्यम भर है और value neutral होती है। नही। भाषा loaded होती है। उसका अपना स्वभाव, उसकी जीवन दृष्टि होती है जो निहित होती है। इसके अपने शब्दों के खास मायने होते है जो दूसरी भाषा में कभी कभी नही होते। हमारी भाषाओं में जो धर्म शब्द है उसका एक अर्थ religion हो सकता है। और भी कई सुंदर अर्थ हैं धर्म के। अंग्रेज़ी में वे अर्थ हैं ही नही। इस प्रकार के और भी उदाहरण हैं। freedom और स्वतंत्रता मैम भेद है।
हमारी बोली भाषाओं में सब कुछ होता है। अंग्रेज़ी में किया जाता है। हमारे यहां बिता हुआ भी कल है और आने वाला भी कल है। हम समय को अलग ढंग से देखते हैं। जल्दी में मोटे मोटे कुछ उदाहरण दे रहा हूँ। हमारा पूरा का पूरा समृद्ध परम्परिक लोक ज्ञान हमारी बोली भाषाओं के मुहावरों और कहावतों और लोके कथाओं में भरा पड़ा है। जीवन दृष्टि से लेकर मौसम, कृषि, स्वास्थ्य, भोजन, आचार व्यवहार की तमाम बातें।
पर हमारा आधुनिक भारत, 'लिबरल' और 'सेक्युलर' भारत इस सब से वंचित है और उसे पता भी नही है की उसकी दुनिया छोटी हो गई है। उसका शब्द कोष छोटा हो गया है इस अंग्रेज़ी के चक्कर में। उसके मां बाप, भले ही वे गंवई हो, उनकी शब्दो और मुहावरों और कहावतों की दुनिया इनसे बड़ी थी। हाँ अहंकार इनमे ज़्यादा है। अंग्रेज़ी की देन। अंग्रेज़ी की वजह से कई पत्रकारों की प्रतिष्ठा है। कई बुद्धिजीवी उसकी वजह से हैं।
हमने इस भाषा के चक्कर में सोचना छोड़ दिया है। हमारे नेताओं को इसकी फिक्र क्या समझ ही नहीं है। जो अंग्रेजीपरस्त है कांग्रेस और लेफ्ट दलों में कई मिल जाएंगे वे तो इसी की खाते हैं, वे क्यों सोचने लगे पर जो दूसरी तरह के देसी भाषा वाले हैं वे भी नहीं सोच रहे।
अंग्रेज़ी इस देश का नासूर है। मौलिक चिंतन इसे हटाये बिना सम्भव नही। विदेश से आई सोच और विचार और उससे हमारा दिमाग संचालित होते रहेगा जब तक अंग्रेज़ी की चलती रहेगी।
पवन कुमार गुप्त
दिसंबर 22, 2019
pawansidh.blogspot.in
1 comment:
हिंदी भाषा सब भावों को समझाने मे सक्षम है। आप इस ही भाषा द्वारा अपने विचार व्यक्त करे।
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