Tuesday, December 17, 2019

एक तरफ कुवां और दूसरी तरफ खाई हो तो क्या कीजियेगा? तो पहले तो इन दोनों को अच्छी तरह से देख समझ लिया जाय। कभी कुएं के पास जा कर खाई के पास जाने की इच्छा करने लगे तो अपनी याद्दाश्त पर ज़ोर डालना जरूरीहै। दूर के ढोल सुहावने होते हैं वाले मुहावरे को याद करना चाहिए। नही तो डोलते रहेंगे। कहने का अर्थ है इस स्थिति में आवश्यक है कि हमारा दोनों से मोह भंग हो। और फिर हमें इस व्यवस्था, जिसकी यह कुआं और यह खाई पैदाइश हैं, को ठीक से समझने का प्रयास करना चाहिए। इसमे गाँधी जी का 1909 में लिखा "हिन्द स्वराज" मदद कर सकता है। उसे धीरे धीरे पढ़े। जल्दबाजी में नहीं, धीरे धीरे। पढ़े फिर मनन करे। फिर थोड़ा पढ़े फिर मनन करे। अपने पूर्वाग्रहों के प्रति सचेत हो कर, उनसे थोड़ी देर के लिए दूरी बना कर पढ़े। आधुनिक व्यवस्थाएं मायावी हैं - कैसे? यह समझ आये तो भ्रम मुक्ति हो। यह ज़रूरी है। मोह भंग और भ्रम मुक्ति। यह हो तो कुछ होने की संभावना खुलेंगी। नही तो कभी नागनाथ अच्छा लगने लगेगा और कभी सांपनाथ।

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