दिल्ली जैसे शहर में, iic जैसी जगहों पर जहां मीडिया और तथाकथित बुद्धूजीवी बैठते उठते हैं वहां धोती, टोपी या पुरानी स्टाइल की चोटी (नई स्टाइल वाली चोटी नहीं, जिसका फैशन चला हुआ है) पहने हुए आदमी को कैसा लगेगा। वह कोई धर्माचार्य न हो तो, उसे कैसा लगेगा। मेरा ख्याल है - अटपटा। मन मे आता होगा धोती छोड़ कर, टोपी उतार कर पतलून और कमीज पहन लें और पुरानी स्टाइल की चोटी को नए अंदाज में बदल दे। शायद ऐसा होता होगा। मैं तो कल्पना ही कर सकता हूँ क्योंकि अपन तो शुरू से नए अंदाज मेदीक्षित हो गए थे।
तो आजकल फेसबुक पर मेरा भी कुछ कुछ यही हाल है। मुझे अपनी बुद्धि और विवेक और दृष्टि पर शंका होने लगी है। लगता है मैं समझदारों के बीच में बेवकूफ हूँ। बगुलों के बीच कौवा। अपने को विरोध समझ नही आ रहा भाई। और मैं भाजपाई भी नहीं।
तो आजकल फेसबुक पर मेरा भी कुछ कुछ यही हाल है। मुझे अपनी बुद्धि और विवेक और दृष्टि पर शंका होने लगी है। लगता है मैं समझदारों के बीच में बेवकूफ हूँ। बगुलों के बीच कौवा। अपने को विरोध समझ नही आ रहा भाई। और मैं भाजपाई भी नहीं।
No comments:
Post a Comment