Wednesday, January 22, 2020

हमारे बुद्धिजीवियों और अर्थशास्त्रियों और इतिहासकारों और समाजशास्त्रियों और आदिवासियों को लेकर एक्टिविज्म कर रहे महान लोगों को कभी रुक कर इस पर विचार करना चाहिए कि हमारे आदिवासियों के पास इतनी चांदी कहाँ से आई। इतनी खराब हालत में भी एक आदिवासी महिला 2 या 3 किलो चांदी के गहने अपने बदन पर पहने रखती है। उन्हें विचार करना चाहिए कि आखिर उस 'बेचारी' के पास इतनी चाँदी आई कहाँ से? और ख्याल रहे कि जहाँ तक मेरी समझ है भारत में चाँदी की एक भी खान नहीं है। तो वे विचार करें यह कहाँ से आई होगी? अगर ईमानदार खोज होगी तो शायद उन्हें भारत के समाज और यहाँ की व्यावसथाओं की कुछ समझ मिले। यहाँ के इतिहास और यहाँ की सभ्यता की कुछ अच्छाइयों की समझ बने। शायद....

जनवरी 22, 2020
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