हमारे बुद्धिजीवियों और अर्थशास्त्रियों और इतिहासकारों और समाजशास्त्रियों और आदिवासियों को लेकर एक्टिविज्म कर रहे महान लोगों को कभी रुक कर इस पर विचार करना चाहिए कि हमारे आदिवासियों के पास इतनी चांदी कहाँ से आई। इतनी खराब हालत में भी एक आदिवासी महिला 2 या 3 किलो चांदी के गहने अपने बदन पर पहने रखती है। उन्हें विचार करना चाहिए कि आखिर उस 'बेचारी' के पास इतनी चाँदी आई कहाँ से? और ख्याल रहे कि जहाँ तक मेरी समझ है भारत में चाँदी की एक भी खान नहीं है। तो वे विचार करें यह कहाँ से आई होगी? अगर ईमानदार खोज होगी तो शायद उन्हें भारत के समाज और यहाँ की व्यावसथाओं की कुछ समझ मिले। यहाँ के इतिहास और यहाँ की सभ्यता की कुछ अच्छाइयों की समझ बने। शायद....
जनवरी 22, 2020
pawansidh.blogspot.com
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